उदयपुर में आचार्य वर्धमानसागरजी से अशोक गहलोत ने लिया अशीर्वाद, उमड़ा जन सैलाब



उदयपुर में आचार्य वर्धमानसागरजी से अशोक गहलोत ने लिया अशीर्वाद, उमड़ा जन सैलाब


ऐतिहासिक जुलूस में उमड़ा जैन समाज का सैलाब।श्री अशोक गहलोत मुख्य मंत्री राजस्थान सरकार की गौरवमई उपस्थिति रही

उदयपुर

सेक्टर 11 स्थित श्री आदिनाथ जिनालय के श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के दूसरे दिन उदयपुर में ऐतिहासिक जुलूस वर्धमान सभागार से रवाना हुआ। यात्रा में हाथी , घोड़ों के अलावा बग्गियों में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्र इन्द्रगण सवार थे। बैड की मधुर ध्वनियों के बीच निकली यात्रा का जगह-जगह विभिन्न समाज के लोगों ने अभिनंदन किया। भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों से जैन समाज के पुरुष व महिलाएं उमड़ी। वहां से जुलूस मुख्य रोड के मोड होते हुए आलोक स्कूल स्थित वर्धमान सभागार पहुंचा। वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ सानिध्य की मौजूदगी में पाण्डुक शिला पर तीर्थंकर जिन बालक को विराजमान कर सौधर्म इन्द्र के अभिषेक करने के बाद की ओर से स्वर्ण कलश से पुण्यार्जक परिवार द्वारा तीर्थंकर बालक का अभिषेक किया गया। बाद में महामहोत्सव के पात्रों द्वारा 1008 कलशों से भगवान का जन्माभिषेक जयकारों के बीच मनाया गया।जैन समाज के लोगों में उमड़े सैलाब के चलते सभागार में आदिनाथ भगवान व आचार्य वर्धमान सागर महाराज के जयकारे गूंजे।


संचित पुण्यों से मिलता तीर्थंकर रूपी कर्म का फलः आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज

वात्सल्य वारिधि व राष्ट्र गौरव आचार्यश्री वर्धमान सागर ने अपनी मंगल देशना में धर्म सभा को संबोधित कर कहा कि पाषाण को भगवान् बनाने वाले पंच कल्याणक महोत्सव में बागड़ मेवाड़ की जनता उपस्थित है। साथ ही राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत भी उपस्थित है ।आपके द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। साधु संतों के लिए राजस्थान में बिहार के लिए सुरक्षा व्यवस्था की है। आचार्य श्री ने जोर देते हुए कहा कि जैन तीर्थों और समाज की सुरक्षा जरूरी है इसके लिए जन कल्याण बोर्ड का गठन मुख्यमंत्री जी के कार्यकाल में होना चाहिए। श्री आदिनाथ भगवान का जन्म हुआ है प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान ने शासन और राज्य व्यवस्था प्रारंभ की थी असि,मसि,कृषि शिल्प, वाणिज्य और कला के माध्यम से शासन व्यवस्था कैसे चले इसकी सीख सर्वप्रथम प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान ने दी थी।

आत्मा कई भव में भ्रमण करती है तब पूर्व वर्षों के संचित पुण्य से तीर्थंकर नाम कर्म का फल मिलता है। तीर्थंकर भगवान द्वारा रतन त्रय धर्म की वृष्टि की जाती है एवं देवताओं द्वारा रत्नों की वृष्टि की जाती है ।

जो प्राणी दर्शन ,विशुद्धि सोलह कारण भावना का चिंतन जीवन में करते हैं ,जगत के प्राणी सुखी कैसे हो इस मंगल भावना को लेकर तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति का बंघ करते हैं

पंचकल्याणक में नाटकीय दृश्य से धर्म के संस्कार दिए जाते हैं।

यह मंगल देशना उदयपुर पंच कल्याणक में दूसरे दिन जन्म कल्याणक के अवसर पर आचार्य शिरोमणि वात्सल्य वारिघि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने प्रकट की।

बाल ब्रह्मचारी गजू भैय्या ,राजेश पंचोलिया इंदौर अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि तीर्थंकर प्रभु की दिव्य देशना से धर्म प्रवर्तन होता है ।इसलिए धर्म को समझने का प्रयास करना चाहिए आज तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ। पंचकल्याणक के माध्यम से आपको यह चिंतन करना है कि हमें क्या करना है मनुष्य पर्याय में जन्म क्यों हुआ ,जीवन को सार्थक कैसे करेंगे , सोलह कारण भावना के चिंतन से तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति का बंघ होगा।

जन्मकल्याणक के तहत प्रतिष्ठाचार्य संहितासूरि हंसमुख जैन के निर्देशन में प्रातः अभिषेक व शांतिधारा, तीर्थंकर जिन बालक जन्म जन्मोत्सव मनाया गया। वर्धमान सभागार में वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के मंचासीन होने के बाद चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन, अतिथियों द्वारा किया गया शास्त्र भेंट व पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य पुण्यार्जक परिवार को प्राप्त हुआ। महामहोत्सव के पात्रों द्वारा जन्म कल्याणक पूजा व हवन किया गया। सांयकालीन श्रीजी की महाआरती की गई। शास्त्र सभा के बाद पालना महोत्सव और रात्रि में आचार्य श्री वर्धमान सागर गौरव गाथा का मंचन किया ।


मानवता सबसे बड़ा धर्म है अशोक गहलोत


इसके पूर्व प्रातः कालीन सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धर्म सभा में बताया कि जैन तीर्थंकरों के अहिंसा, सत्य , अचोर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांत वर्तमान परिपेक्ष में प्रासंगिक है।

उन्होंने कहा मैंने भी बचपन में जैन स्कूल आश्रम से अध्ययन प्राप्त किया है । शासन की अनेक योजना बजट के बारे में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने बताया कि हमारे द्वारा गौशाला और तीर्थ क्षेत्रों के संरक्षण के लिए अनुदान दिया जाता है। प्रदेशवासियों को तीर्थ यात्रा कराई जाती है, उसमें श्री सम्मेद शिखर को भी जोड़ा गया है ।साधुओं की सुरक्षा से हमें भी सुकून मिलेगा प्राकृत भवन के शिलान्यास के लिए शासन ने निशुल्क भूमि दी है । इससे विद्यार्थी संस्कारवान बने, मानवता, राज्य और समाज के लिए समर्पित हो मानवता सबसे बड़ा धर्म है साधु संतों के जीवन से समाज को प्रेरणा मिलती है।

यह विचार उन्होंने ग्लोबल महासभा द्वारा विश्व विद्यालय परिसर में बनाए जाने वाले प्राकृत भवन के शिलान्यास कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किए। इस अवसर पर अनेक वक्त्ताओ ने विचार रखें।

पंच कल्याणक के अवसर पर आचार्य श्री शांतिसागर जी,आचार्य श्री वीर सागर जी,आचार्य श्रीशिव सागर जी,आचार्य श्री धर्म सागर जी,आचार्य श्री अजित सागर जी आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर जी एवम् पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के प्राचीनतम चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ श्री रविन्द्र कीर्ति हस्तिनापुर और पंडित श्री हँसमुख शास्त्री द्वारा श्री आदिनाथ मंदिर ट्रस्ट एवम् पंच कल्याणक प्रतिष्ठा समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में किया। आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज सहित सभी साधुओं ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

राजेश पंचोलिया इंदौर वात्सलय भक्त परिवार से प्राप्त जानकारी

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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