प्रतापगढ़ के सीतामाता अभयारण्य में मिलीं जैन प्रतिमाएं व मंदिरावशेष ಪ್ರತಾಪಗಢದ ಸೀತಾಮಾತಾ ಅಭಯಾರಣ್ಯದಲ್ಲಿ ಜೈನ ವಿಗ್ರಹಗಳು ಮತ್ತು ದೇವಾಲಯದ ಅವಶೇಷಗಳು ಕಂಡುಬರುತ್ತವೆ



प्रतापगढ़ के सीतामाता अभयारण्य में मिलीं जैन प्रतिमाएं व मंदिरावशेष 

ಪ್ರತಾಪಗಢದ ಸೀತಾಮಾತಾ ಅಭಯಾರಣ್ಯದಲ್ಲಿ ಜೈನ ವಿಗ್ರಹಗಳು ಮತ್ತು ದೇವಾಲಯದ ಅವಶೇಷಗಳು ಕಂಡುಬರುತ್ತವೆ

प्रतापगढ़. जिले के बहुमूल्य थाती सीतामाता अभयारण्य में हाल ही में एक स्थान पर किले के अवशेष मिले हैं। जहां मंदिरों के प्रस्तर पर उत्कीर्ण जैन प्रतिमाएं भी मिली हैं। जिससे यहां वर्षों पूर्व किसी समय गुप्त शरण स्थली की संभावनाएं हैं। इसे लेकर जिले के इतिहासविदों और पर्यावरणविदों ने पुरातत्त्व विभाग से इस किले, मंदिर के काल की गणना की मांग उठाई है। जिससे यहां और भी इतिहास को भौगोलिक स्तर पर सामने लाया जा सके। यहां सीतामाता अभयारण्य के गढ़वेळा बरजामाता क्षेत्र के सरिपीपली के आगे घनघोर जंगल और ऊंचे पहाड़ पर स्थित एक प्राचीन किला हाल ही में मिला है। हालांकि यह किला विस्तार की दृष्टि से छोटा है। इस किले के पास में एक जैन मंदिर के अवशेष बिखरे पड़े हुए हैं। इस स्थल का कोई इतिहास प्राप्त नहीं हुआ।

काले पत्थरों से उत्कीर्ण हैं जैन प्रतिमाएं

यहां किले में मिले मंदिर में कई अवशेष बिखरे पड़े हैं। जिसमें प्रस्तरों पर कई प्रतिमाएं, जो प्रायः काले पत्थरों में उत्कीर्ण हैं। फूल-पत्तियां, आकर्षक पिलरों पर कई प्रकार की नक्काशी की हुई है। इसमें शासनदेवी-देवों की विभिन्न भंगिमाओं की प्रतिमाएं और तीर्थंकर प्रतिमा भी उर्त्कीण की हुई हैं। जो किले के विभिन्न भागों में बिखरी हुई हैं।

एक प्रस्तर में मध्य में पद्मासनस्थ सुन्दर तीर्थंकर प्रतिमा है जो एक देवकुलिका में दर्शाई गई है। उसके दोनों ओर चंवरधारी बने हैं, उनके उपरिम भाग में माल्यधारी गगनचर देव उत्कीर्णित हैं। इसी प्रस्तर में दोनों ओर एक एक शासनदेव शिल्पित हैं।


मंगल मेहता, पर्यावरणविद्, प्रतापगढ़. साभार पत्रिका



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