प्रमुख राष्ट्रीय संस्थाओं ने की सामाजिक समरसता की पहल, कोपरगांव में महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित











प्रमुख  राष्ट्रीय संस्थाओं ने की सामाजिक समरसता की पहल, कोपरगांव में महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित



कोपरगांव। जैनधर्म की प्रभावना एवं जैनधर्मावलंबियों में एकता, सामंजस्य आदि स्थापित करने के लिए कोपरगांव महाराष्ट्र में 1-2 अप्रैल 2024 को परमपूज्य चर्याशिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ सान्निध्य, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद् के तत्त्वावधान, श्री सकल दिगम्बर जैन साधर्मी सहयोग प्रतिष्ठान, कोपरगांव के आयोजकत्व एवं डॉ. श्रेयांसकुमार जैन बड़ौत की अध्यक्षता एवं पं. विनोदकुमार जैन प्रतिष्ठाचार्य के संयोजन में एक बृहत् विद्वत्सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण, भगवान महावीर के चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलन से हुआ। परिचर्चा व व्याख्यान के लिए निम्नांकित 8 समेकित विषय रखे गये थे-

1- सर्व दिगम्बर जैन पंथीय समन्वय, सामाजिक एकता के उपाय।

2- धर्म संवर्धन, शास्त्र संवर्धन तीर्थ संरक्षण में श्रमण और श्रावक के कर्तव्य ।

3- जैन समाज में आगम सम्मत जातीय व्यवस्था कुल शुद्धि ।

4- जैन जनसंख्या वृद्धि के लिए सुझाव और उपाय।

5- जैन समाज धर्म संस्था में मुनिसंघ की भूमिका ।

6- जैन साधु संतों के आहार विहारादि में सुरक्षा और समाज की जिम्मेदारी ।

7- वर्तमान में होने वाले धर्म परिवर्तन पर विचार विमर्श ।

8- अन्तर्जातीय विवाह के सम्बन्ध में विमर्श ।

  1 अप्रैल को प्रथम सत्र के अध्यक्ष डॉ. श्रेयांसकुमार जैन बड़ौत, सारस्वत अतिथि डॉ. अनुपम जैन व संचालन पं. विनोद कुमार जैन रजवांस ने किया। विषयवस्तु का प्रस्तुतीकरण श्री अनंत कुमार बज ने किया। इस सत्र में पांच विद्वानों ने अपने विषयगत विचार रखे। अध्यक्षीय वक्तव्य के उपरान्त आचार्यश्री विशुद्धसागर जी महाराज के प्रवचन हुए।

दोपहरकालीन द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. शीतलचन्द्र जैन जयपुर ने की, संचालन डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ ने किया। इस सत्र में इन्दौर विश्वविद्यालय की प्रो. संगीता मेहता के ओजस्वी वक्तव्य सहित 9 विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। अध्यक्षीय वक्तव्य के उपरान्त आचार्यश्री विशुद्धसागर जी महाराज के प्रवचन हुए। रात्रि में वैज्ञानिक राजमल जैन ने पावरप्वाइंट पर बनाये गये  तत्वार्थसूत्र पर विशेष प्रस्तुतीकर दिया। 

 2 अप्रैल को चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर वीरसागर जैन दिल्ली ने तथा संचालन प्रोफेसर नरेन्द्र कुमार जैन टीकमगढ़ ने किया। इस सत्र में 8 विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। आचार्यश्री के सारगर्भित प्रवचन हुए। दोपहरकालीन पंचम सत्र में की अध्यक्षता ब्रह्मचारी विनोद भैया जी छतरपुर ने की व संचालन डॉ. विमलकुमार जैन प्रतिष्ठाचार्य जयपुर ने किया।

इस सम्मेलन में निम्नांकित प्रस्ताव पारित किये गये-

1. देव-शास्त्र-गुरु हम सभी जैनों के आराध्य हैं, हम सभी का कर्तव्य है कि इनकी गौरव गरिमा को बनाए रखने के लिए भाषा समिति का पालन किया जाए। णमोकार मंत्र पर श्रद्धा रखने वाले सभी जैन हैं, किसी के प्रति भी अनादर का भाव न रखने की प्रतिबद्धता हो। 

2. शासन की विभिन्न योजनाओं से सक्रियता एवं विधि सम्मत रीति से जुड़कर उनका लाभ शास्त्र संरक्षण, (सूचीकरण, संरक्षण, अनुवाद, तुलनात्मक अध्ययन) हेतु किया जाना चाहिए। एतदर्थ एक 5 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति गठित की जानी  चाहिए। 

3. प्रत्येक संघ में स्वाध्याय की व्यवसथा सुचारु रूप से चलना चाहिए।

4. समाज प्रतिवर्ष दो पुरातत्त्व और वास्तुविद्या के अध्येताओं को सहयोग प्रदान करे। विद्वानों से निवेदन है कि प्रशस्तियां पढ़ने और पुरातत्त्व को समझने का पुरुषार्थ करें।

5. अपनी परम्परा अपने गांव के मंदिर या अपने घर में रखें (चलाएं)। बाहर सबको जैनत्व का सन्देश दें।

6. धर्मसंवर्धन, श्रुतसंवर्धन और तीर्थसंरक्षण हेतु देश के नगर-नगर और गांव-गांव में पाठशालाएं खोली जाएँ। 

7.  सम्पूर्ण समाज से यह सम्मेलन आग्रह करता है कि आप सभी तीर्थ क्षेत्रों की वन्दना वर्ष में एकवार अवश्य करें, जिससे तीर्थों पर जैन श्रावकों का सतत आना-जाना रहेगा, जैन धर्मावलम्बियों की उपस्थिति में विधर्मी लोग तीर्थों पर कब्जा आदि नहीं कर पायेंगे।

8. जातीय व्यवस्था एवं कुलशुद्धि का जैनागम में विशेष कथन मिलता है, जो वर्तमान में सिथिल होती जा रही है, उसके अनुसार जातीय व्यवस्था एवं कुलशुद्धि अनिवार्य है। समाज से आग्रह है कि धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों में उक्त व्यवस्थाओं का अनुपालन किया जाए।

9. ‘‘जिन कारणों (पंथ, ग्रंथ एवं संत व्यामोह ) से समाज निरन्तर बँटती जा रही है, हमारा सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक प्रभाव निष्क्रिय होता जा रहा है। यदि इस पर समय से अंकुश नहीं लगाया जायेगा तो भविष्य में जैन संस्कृति, पुरातत्त्व एवं श्रमण संस्कृति का अस्तित्व बचाना संभव नहीं होगा। हम अगली पीढ़ी को अलगाव-विघटन न सौंपकर समग्र जैन समाज को संगठित कर देव-शास्त्र-गुरु का संरक्षण स्थायित्व के साथ सौंपें।’’

10.  आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ससंघ के सान्निध्य और शास्त्रिपरिषद् के तत्त्वावधान व डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत की अध्यक्षता में जैन राष्ट्रीय साधर्मी समाज सहयोग प्रतिष्ठान कोपरगांव (महाराष्ट्र) द्वारा दिनांक 1 एवं 2 अप्रैल 2024 को आयोजित जैन राष्ट्रीय विद्वत्सम्मेलन को विशेष सफलता के साथ संपन्न करने में योगदान हेतु कोपरगांव दि. जैन समाज, श्री सुधीर कुमार बज व अनंतकुमार जैन बज के अनथक परिश्रम की प्रशंसा करते हुए आभार प्रकट करने का प्रस्ताव पास किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 60-65 विद्वान् सम्मिलित हुए, जिनमें से प्रमुख नाम इस प्रकार हैं-

ब्र जयकुमार जैन निशांत, टीकमगढ़, डॉ विमल कुमार जैन, जयपुर, डॉ. संगीता मेहता, इन्दौर, डॉ उज्ज्वला जैन, औरंगाबाद,  पं पवन कुमार जैन दीवान, सागर, पं सनत कुमार जैन, रजवांस, पं रमेश कुमार जैन, श्रवणबेलगोला, पं विनोद कुमार जैन, रजवांस, पं. कमल कुमार कमलांकुर, भोपाल, पं. सुरेश जैन मरौरा, इंदौर, डॉ अनुपम जैन, इंदौर, डॉ कमल जैन, पुणे, डॉ. अखिल बंसल, जयपुर, डॉ नरेंद्र कुमार जैन, टीकमगढ़, डॉ शीतल चन्द्र जैन, जयपुर, पं अंकित जैन, मड़देवरा, डॉ मीना जैन, उदयपुर, डॉ सुशील जैन, कुरावली, डॉ ज्योति जैन, खतौली, डॉ राजीव प्रचण्डिया, अलीगढ़, डॉ अल्पना जैन, मालेगांव, डॉ सुरेंद्र कुमार जैन, भारती, डॉ शुद्धात्म प्रकाश जैन, मुबई, ब्र विनोद भैया, छतरपुर, डॉ ममता जैन, पुणे, डॉ मंजूषा सेठी, पुणे, डॉ अरिहंत कुमार, मुम्बई, डॉ हरिश्चंद्र जैन शास्त्री, सागर, पं. महेंद्र कुमार जैन, पंडित राजकुमार जैन शास्त्री, सागर, ब्र जिनेश मलैया, इंदौर, डॉ नरेंद्र कुमार जैन, सनावद, पं जयंत कुमार जैन, सीकर, पं वीरेंद्र कुमार जैन, टीकमगढ़, डॉ सविता दीदी, रतलाम, पं मनीष कुमार जैन संजू, टीकमगढ़, डॉ अरिहंत कुमार जैन, पुणे, पं मनीष जैन विद्यार्थी, शाहगढ़, 39. डॉ महेंद्र कुमार जैन मनुज, इंदौर, पं अशोक कुमार जैन, इंदौर, ब्र महेंद्र भैया, घुवारा, पं कोमल चन्द्र, जैन, पं चंद्रेश जैन, शास्त्री, डॉक्टर ऋषभ कुमार जैन, ललितपुर, इंजी. दिनेश जैन, भलाई, पं. महेन्द्र कुमार जैन, मुरैना, श्री शिखरचंद जैन, इन्दौर, जयकुमार कासलीवाल एडवो., नांदगाव, डॉ. राजमल्ल जैन, सागर, पं. कमल जैन हाथीशाह, भोपाल, महावीर दीपचंद ठोले, औरंगाबाद, पं. अभय शहा, श्रवण कुमार जैन ब्र. वात्सल्य, बड़ागांव, डॉ. नीलम जैन, सर्राफ, ललितपुर, शुभम् जैन, बड़ौत, प्रवीण पूनमचंन्द्र दगड़े, औरंगाबाद, ऊषा जैन, पुणे,  डॉ. मनोज जैन, निर्लिप्त, अलीगढ़, प्रो. वीरसागर जैन, दिल्ली, ब्र. रजनी दीदी, इन्दौर

श्री जमना प्रसाद हापावत- ग्लोवल सभा













































































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